प्रेम विस्तार है और स्वार्थ सकुंचन

अभी हाल ही में heartfulness.org द्वारा एक निबंध प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, कुछ तकनिकी बाधाओं के कारण मैं अपना निबंध जमा नहीं कर पाया तो सोचा कि क्यों न अपने ब्लॉग से ही पोस्ट कर दूँ | निबंध के विषय को पढ़ते ही मुझे कबीर का एक दोहा याद आता है, पोथी पढ़ि पढ़ि जग […]

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मिष्ठी

माली काका बहुत ख़ुश थे ।और हों भी क्यों ना, आज उनकी जान, उनकी गुड़िया- मिष्ठी पूरे बारह मास के बाद गाँव वापस आने वाली थी| मिष्ठी के माता पिता के गुज़र जाने के बाद माली काका ने ही उसे पाल पोस कर बड़ा किया था | मैं उनके घर के बाहर खड़ा था । […]

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नदी का किनारा

कुछ वक़्त पहले की बात है, अप्रैल-मई के महीनों की, बोर्ड परीक्षा के परिणाम मन लायक नहीं आए थे, और भी कई प्रवेश परीक्षाओं में चयन नहीं हुआ.. काफ़ी खीझ होने लगी थी मुझे, .. फिर मन को थोड़ा शांत किया और अपना आकलन किया | उस दौरान मेरी जो हालत थी, इस कविता के […]

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